Voice of Pratapgarh News ✍️ पंडित मुकेश कुमार
गेंजी में मुनि सुधींद्र के सानिध्य में अक्षय दशमी पर्व मनाया
चित्तौड़गढ़। चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री सुनील सागर महाराज के शिष्य मुनि सुधींद्र सागर महाराज क्षुल्लक अकम्प सागर महाराज का गेंजी में चातुर्मास चलते
प्रातः 7 बजे जिनेन्द्र देव का अभिषेक शांतिधारा एवम अक्षय दशमी विशेष पूजा अर्चना की गई शांतिधारा के पुण्यार्जक का सोभागय गेंजी महिलामंडल को प्राप्त हुआ।
संघस्थ बाल ब्रह्मचारी विधानाचार्य मयंक ने अक्षय दशमी की पूजा अर्चना पूर्ण विधिवत संपन्न करवाई।
अधिक जानकारी देते हुए संघपति अनिल कुमार सुरेश चंद्र जैन बताया कि संघस्थ ब्रमचारी महेंद्र ने अक्षय दशमी व्रत के मंत्र जाप व पौराणिक कथा के विषय में श्रावको को अवगत कराया
मुनि श्री ने ओजस्वी वाणी से अक्षय दशमी व्रत का महत्व बताते हुए कहा इस व्रत को श्रद्धा से करने से संसार के सुख निधि को प्राप्त करते हुए मोक्ष की प्राप्ति होती है मुनि श्री ने पुराण की कथा अनुसार कहा राजग्रही में मेघनाद नाम का राजा था उसकी पृथ्वी देवी नाम की रूपवान गुणवान रानी थी इन्हे संतान की प्राप्ति नही होने से दोनो चिंतित रहते थे एक बार शुभंकर नाम के मुनिराज का नगरी में आगमन हुआ राजा रानी दर्शन को गए है मुनीश्वर आप त्रिकाल दर्शी है कृपा कर है था बताओ किस कारण मुझे संतान उत्पत्ति नही हुई तदपुरांत मुनि राज ने कहा तुम्हारी रानी ने पूर्व भव में मुनि के दान में अंतराय किया था। इसी कारण पाप के उदय से संतान की प्राप्ति नही हुई राजा ने मुनि से उपाय पूछा मुनि ने कहा श्रवण शुक्ला दशमी तिथि का दश वर्ष तक व्रत करो व्रत के दिन पूर्ण उपवास रखना जैन मंदिर जाकर अभिषेक शांतिधारा और पूजा विधान करना तथा ॐ नमो ऋषभाय का जाप करना और व्रत दश वर्ष पूर्ण होने पर उध्यापन करना राजा व रानी ने श्रद्धा भक्ति से व्रत को पूर्ण कर उध्यापन किया जिसके फल स्वरूप पूर्व पाप का क्षय होने राजा के 7 पुत्र और 5 कन्या हुई और सुख को भोगते हुए राजा दया धर्म को पालते हुए समाधिमरण कर के पहले संवर्ग में देव हुआ और वहा से आयु पूर्ण कर के मनुष्य भव मिला जहा से मोक्षपद को प्राप्त किया यह अक्षय दशमी व्रत से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
