Voice of pratapgarh News✍️ पत्रकार महेश पीलूखेड़ा
दौसा।भगवान परशुराम की पावन जन्मस्थली एवं तपोभूमि रुण्डल आमेर को बचाने के उद्देश्य से रविवार को एक विशेष अभियान पहाड़ बचाओ, पहाड़ सजाओ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय परशुराम सेवा संघ के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश राणेजा का लालसोट आगमन हुआ, जहां ब्राह्मण समाज द्वारा उनका भव्य स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। राणेजा ने रुण्डल आमेर की रक्षा हेतु दिया ब्राह्मण समाज को आह्वान
अपने संबोधन में दिनेश राणेजा ने कहा कि भगवान परशुराम की तपोस्थली रुण्डल आमेर न केवल सनातन संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि वह समस्त ब्राह्मण समाज की आस्था का केंद्र है। वर्तमान में यह पुण्यभूमि खनन माफियाओं और सरकारी मशीनरी के उत्खनन से खतरे में है। उन्होंने चेताया कि इस पवित्र स्थल की धार्मिक गरिमा, पुरातात्विक महत्व और प्राकृतिक संतुलन तीनों को गंभीर खतरा है। उन्होंने सभी ब्राह्मण संगठनों और समाज के जागरूक नागरिकों से आह्वान किया कि वे मंदिर निर्माण, पहाड़ी संरक्षण एवं जनजागरण अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएं। पवन शर्मा बिचपुरी ने इस अवसर पर भगवान परशुराम की जन्मभूमि रुण्डल आमेर का ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक परिचय देते हुए बताया कि यह वही भूमि है जहां भगवान परशुराम का जन्म हुआ, बाल्यकाल बीता और जहां उन्होंने भगवान शिव की 13 वर्षों तक घोर तपस्या की।
समाज के प्रमुखों ने दिया जनजागरण अभियान को समर्थन
कार्यक्रम में तहसील अध्यक्ष रामचरण बोहरा ने कहा कि यह केवल ब्राह्मण समाज की नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज की सांस्कृतिक जिम्मेदारी है कि हम इस धरोहर की रक्षा करें।
नवीन शर्मा सुकार ने जानकारी दी कि यह अभियान गांव-गांव, ढाणी-ढाणी तक ले जाया जाएगा।
नगर प्रभारी अश्विनी शर्मा ने सभी संगठनों से एकजुटता की अपील की। इस पावन संकल्प में जिन प्रमुख कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही उनमें राष्ट्रीय प्रवक्ता सूरज करण शर्मा, मोहित शर्मा , युवराज शर्मा, नवल किशोर शर्मा, अनुराग दीक्षित, अनुराग ककराला, दीपक शर्मा, गिरिराज शर्मा, दीपक शर्मा, गोविंद सहाय शर्मा, भागीरथ शर्मा, अतुल होदायली, पंडित श्याम सुंदर शर्मा, पुष्पेंद्र शर्मा, ऋषि शर्मा, निरज जोशी, अभिनव शर्मा और अवधेश शर्मा प्रमुख रहे। सभी ने भगवान परशुराम के जयकारों के साथ तपोस्थली रुण्डल आमेर की रक्षा एवं सुंदरता के लिए संकल्प लिया।
भगवान परशुराम जन्मस्थली: रुण्डल आमेर की धार्मिक महत्ता राजस्थान के जयपुर जिले की आमेर तहसील स्थित रुण्डल धाम, ब्राह्मण परंपरा के अनुसार भगवान परशुराम की जन्मस्थली मानी जाती है।
धार्मिक ग्रंथों और जनश्रुतियों के अनुसार यहीं भगवान परशुराम का जन्म, बाल्यकाल, तथा शिव तपस्या 13 वर्ष हुई थी। शंकरी कुई आश्रम, सहस्त्रार्जुन के महलों के भग्नावशेष, ऋषि जमदग्नि का समाधि स्थल, परशुराम कुण्ड, और प्राचीन गुफाएं इस तथ्य को प्रमाणित करती हैं।
इसी भूमि से रेणुका नदी का उद्गम माना जाता है जो अब विलुप्त हो चुकी है।
खनन कार्यों से संकट में यह धरोहर
लगातार खनन के चलते अरावली की यह पवित्र पर्वतशृंखला, प्राचीन मंदिर, और प्राकृतिक संरचनाएं विलुप्ति की कगार पर हैं। यहां की विरासत लोकगीतों, संत वाणी और आस्थावानों की स्मृतियों में जीवंत है।
यह अभियान केवल एक विरोध नहीं, संस्कृति और श्रद्धा की रक्षा का संकल्प है। संस्कृति को बचाना है, रुण्डल को सजाना है – यही है परशुराम सेना का प्रण और हर ब्राह्मण का धर्म।
