Voice of pratapgarh News ✍️पत्रकार महेश पीलूखेड़ा
दौसा। लालसोट में श्रद्धा, सेवा और सामाजिक समरसता का अनूठा संगम शुक्रवार को उपखंड मुख्यालय लालसोट में निर्जला एकादशी के पावन अवसर पर देखने को मिला। चिलचिलाती गर्मी में जहां राहगीर तपती दोपहर में राहत की तलाश में थे, वहीं सामाजिक संगठनों और व्यापारियों ने जगह-जगह शीतल पेय और शर्बत की प्याऊ लगाकर मानवता की मिसाल पेश की।
सड़कों पर छलका सेवा भाव: लालसोट शहर के प्रमुख चौराहों—ज्योतिबा फूले सर्किल, देवीजी, जमात चौराहा, खटवा रोड और कोथून रोड—पर मिल्क रोज, आमरस और ठंडाई जैसे शीतल पेयों की व्यवस्था की गई। राहगीरों और यात्रियों को रुकवाकर न केवल उन्हें पेय पिलाया गया, बल्कि आत्मीयता से स्वागत भी किया गया।
संगठनों और समाजसेवियों की रही अहम भागीदारी: श्री श्याम मित्र मंडल ने नगर पालिका के सामने ठंडाई वितरित कर पुण्य कमाया, वहीं समाजसेवी अमित शर्मा ने ज्योतिबा फूले सर्किल पर मिल्क रोज का वितरण कर सेवा भाव को चरितार्थ किया। देवी के सामने व्यापार महासंघ अध्यक्ष दीपक चौधरी और समाजसेवी शिव शंकर जोशी ने आमरस पिलाकर राहगीरों की प्यास बुझाई। जमात चौराहा और गंगापुर चौराहे पर भी व्यापारियों ने बस यात्रियों और राहगीरों को शीतल पेय वितरित कर सेवा कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लिया। निर्जला एकादशी का महत्व: हुगांडा मंदिर के पुजारी पंडित नरसी शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। यह व्रत कठिन तप के रूप में जाना जाता है क्योंकि इस दिन व्रती बिना जल ग्रहण किए उपवास करता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और शास्त्रों में इसे अत्यंत पुण्यदायी माना गया है।
आस्था के साथ समाजसेवा की मिसाल: गर्मी में जब राहगीर पसीने से लथपथ थे, तब इन सेवा कार्यों ने उन्हें ठंडी राहत ही नहीं दी, बल्कि यह दर्शाया कि सामाजिक सहभागिता से बड़ी से बड़ी कठिनाई को सहज बनाया जा सकता है। निर्जला एकादशी पर लालसोटवासियों ने न केवल धार्मिक आस्था का पालन किया, बल्कि सेवा की सरिता भी बहाई।
