महिलाओ को सामाजिक आजादी से वंचित देख विवेक जगा सावित्रीबाई फूले का

खासकर महिलाओं को गुलामी के दल दल से बाहर निकालने को जीवन भर किया संघर्ष सावित्रीबाई फूले ने: पार्वती सालवी

Voice of Pratapgarh News ✍️ रिपोर्टर पंडित मुकेश कुमार 

चितोडगढ। महिलाओ को सामाजिक आजादी से वंचित देख , विवेक जगा सावित्रीबाई फूले का, शिक्षा का महत्व तथा जागरुकता के लिऐ उन्होने कदम उठा ही लिया।
नीमच एम पी से समाज सेविका प्रगति शील विचारक फोजी दम्पति मंजू राठोड ने बताया कि सावित्रीबाई फूले ने ही हमारे लिऐ शिक्षा के द्वार खोले है, स्वाभिमान से जीवन जीने के लिऐ शिक्षा व जागरूकता बहूत आवश्यक है। साथ ही शिक्षा ही सच्चा व खरा गहना है हमारे जीवन मे। उन्होने बताया कि सावित्रीबाई फूले हमारे लिए भगवान से बढकर हैं।

फूले दम्पति ने शिक्षा के द्वार खोलने, बालिकाओ को पढाने जागरूकता लाने के प्रयास तेज कर दिये। यह देखकर सावित्रीबाई फूले तथा ज्योति बा फूले का कडा विरोध शुरु हो गया,इतना कि उन्हे अपने घर तक से बाहर निकाल दिया, फिर भी उन्होने परवाह नही की, उन्होने जन जागरण अभियान चलाकर गुलाम बनाऐ रखने की व्यवस्था के विरूद्ध आवाज उठाते हूऐ, चार दीवारी मे बंद रहने वाली महिलाओ को जागरूक किया, तथा बालिका शिक्षा के लिए विधालय खोलकर पढाना शुरू किया, यह देखकर लोगों ने इसे अधार्मिक व गलत बताते हूऐ, पढाने जाने के दौरान उन पर कीचड तक फेंकते ताकि पढाने का काम घबराकर छोड दें,परन्तु सावित्रीबाई फूले ने इन सब की इसकी परवाह नही की।
अकादमी की जिला प्रवक्ता पार्वती सालवी ने मां सावित्रीबाई फूले के जीवन को धन्य बताते हूऐ कहा कि
आज देश मे प्रधान मंत्री रही इंदिरा गांधी हो या राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, सभी महिलाओ को आज पढने लिखने आगे बढने के अवसर मिल पाये है मां सावित्रीबाई फूले के त्याग बलिदान तथा उनके उपकारों की बदोलत है।
उदयपुर से अम्बेडकरवादी मोहनलाल सालवी ने बताया कि सावित्रीबाई फूले ने महिलाओ को जीवन भर सशक्त बनाया, हक अधिकार दिलाए, वो एक महान महिला थी।

शिक्षिका एवं सुधारवादी विचारक पुष्पा सालवी ने बताया कि सावित्रीबाई फूले का मानना था कि
शिक्षा तथा जागरूकता ही जीवन का सच्चा आभुषण है, नारी मुक्ति आन्दोलन की प्रणेता तथा देश की पहली महिला शिक्षिका व महान समाज सुधारक थी सावित्रीबाई बाई फूले थी।
धोइंदा से जागरूक महिला पदाधिकारी ललीता सालवी ने बताया कि सावित्रीबाई फूले की तरह अन्याय सामाजिक असमानता के विरूध तथा महिलाओ के हित मे सभी महिलाओ को जागरूक होना आज पहली आवश्यकता हों। हम महिलाओं मे जो भी तरक्की देख रहे हे वह फूले दम्पति के महान योगदान की बदौलत है।

अकादमी के जिलाध्यक्ष मदन सालवी ओजस्वी ने इस अवसर पर बताया कि सही मायने मे मां हमारी सावित्रीबाई फूले थी, जिन्होने हम हर एक के लिए लाख लाख तकलीफ नफ़रत, अन्याय अपमान सह कर हमारे लिऐ शिक्षा के द्वार खोले तथा विधवा विवाह, जातिय नफ़रत छुआछूत मिटाने, मानव जीवन को जिंदा करने के जो काम किये, वह भगवान से बढ कर हैं।
उज्जैन से प्रह्लाद मालवीय ने बताया कि सावित्रीबाई फूले हमारी राष्ट्रमाता हैं, हम सभी उनसे प्रेरणा लें। गंगरार से शिक्षाविद कौशल किशोर बिलवाल ने बताया कि वे आधुनिक भारत की वास्तविक प्रथम महिला शिक्षिका थी, हक अधिकार दिलाने वाली जनक थी।
चितोडगढ से अजय रजक लिखते है कि उन्होने रूढीवादी परम्पराओ को तोडकर शिक्षा की अलख जगाने से ही आज हम इस मुकाम पर है। सभी धन से श्रेष्ट धन विधा ही है,इससे वॅचित रखना ही अधर्म ओर महा पाप है।

मां सावित्रीबाई फूले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्रा के सतारा जिले में पूणे के नजदीक नायगांव में हूआ। हम सभी महिलाओ को फूले दम्पति से बहूत कूछ सीखना तथा आगे बढना,अन्याय के विरुद्ध उठ खडे होने की जरूरत है। हम सभी आज मां सावित्रीबाई फूले को नमन करते हूऐ उनके बताए रास्ते पर चलते हूऐ उनके जीवन को जीवन भर नमन कर, धन्य बताते है।

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