कार्तिक बदी अष्टमी 24 अक्टूबर कल 540वां बिश्नोई धर्म स्थापना दिवस है

 

Voice of Pratapgarh News ✍️ रविन्द्र आर्य 

नई दिल्ली। चौदहवीं-पंद्रहवीं शताब्दी में जब भारत में धर्म की अत्यंत दुर्दशा हो रही थी, लोग जीवन जीने की युक्ति भूल चुके थे। भारतवर्ष पर लगातार विदेशी आक्रमणकारियों के प्रकोप के कारण तथा यहां उनकी सत्ता स्थापित होने के बाद भारत की मूल चेतना धूल धूसरित हो गई थी। तब मारवाड़ में संवत् 1542 (सन् 1485) में कार्तिक वदी अष्टमी को गुरु जम्भेश्वर भगवान ने समराथल धोरा पर पाहल बनाकर व कलश स्थापना कर धर्म की संस्थापना की जिसे बिश्नोई धर्म नाम दिया गया। सबसे पहले गुरु जंभेश्वर भवगान ने अपने चाचा पुल्हो को पाहल पिलाकर बिश्रोई धर्म में शामिल किया। गुरू जंभेश्वर भगवान ने इसे अपनाने वाले के लोगों के लिए 29 धर्म नियम प्रणित किए। इन नियमों की परिपाटी का एक सहज धर्म का मार्ग है जिस पर चलकर मनुष्य बहुत सरलता से परमात्मा की प्राप्ति कर सकता है।