आमजन से वर्षा जल संरक्षण तथा पेयजल का सदुपयोग करने की अपील

 

Voice of Pratapgarh News ✍️ पंडित मुकेश कुमार 

वर्षा जल संरक्षण, संचयन तथा अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग हेतु राज्य द्वारा जारी जल नीति के अनुसार संरचनाओं का निर्माण आवश्यक

चित्तौड़गढ़। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधीक्षण अभियंता सुनीत कुमार गुप्ता ने बताया कि विभाग द्वारा गिरते भू-जल स्तर को बचाने हेतु सूख चुके नलकूप, हैंडपंप को भी आर्टिफिशियल रिचार्ज स्ट्रक्चर की तर्ज पर उपयोग हेतु प्रयास किये जा रहे है। उपभोक्ताओं को वर्षा जल का संरक्षण एवं संचयन तथा अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग हेतु राज्य द्वारा जारी जल नीति संरचनाओं का निर्माण अति आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि राज्य द्वारा जारी नीति के अनुसार 225 वर्गमीटर आवासीय, 500 वर्गमीटर औद्योगिक अथवा ज्यादा क्षेत्रफल के भू-खण्ड़ों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग इकाई का निर्माण एवं कार्यात्मक होना अनिवार्य है। 2500 वर्गमीटर अथवा ज्यादा क्षेत्रफल के भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग इकाई के साथ-साथ स्नानागर एवं रसोई के अपशिष्ट जल के रिसाईकिलिंग तथा पुनः उपयोग प्रणाली का निर्माण एवं कार्यात्मक होना अनिवार्य है। साथ ही, योजना क्षेत्र अथवा एकल भू-खण्ड़ पर 10000 वर्ग मीटर से अधिक सकल निर्मित क्षेत्र होने पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग इकाई के साथ-साथ सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लान्ट स्थापित किया जाना एवं कार्यात्मक होना अनिवार्य है।

विभाग द्वारा अवैध जल कनेक्शनों, सीधे मोटर लगाकर पानी उपयोग करने तथा घरेलू जलापूर्ति का दुरुपयोग कर वाणिज्यिक अथवा औद्योगिक उपयोग पर विशेष अभियान चलाकर लगातार कार्यवाही की जा रही है। इस अभियान के तहत उपभोक्ताओं को सर्वप्रथम नोटिस दिये जा रहे है। नोटिस उपरान्त भी विभागीय नियमानुसार कार्यवाही नहीं होने पर पेनल्टी लगाई जाएगी। संबंधित द्वारा तत्पश्चात भी सहयोग नहीं किया जाता है तो जिला प्रशासन एवं पुलिस की सहायता से पानी की चोरी तथा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धाराओं में एफ.आई.आर. दर्ज करवाने के आदेश भी विभाग द्वारा प्रसारित किये गये है। उन्होंने सर्वसाधारण से अपील की है कि सर्वांगीण विकास एवं ‘हर घर जल’ पहुंचाने के लिए वर्षा जल संरक्षण तथा पेयजल का सदुपयोग कर विभाग की सहायता करे।