बीमा कंपनी के विरुद्ध 1,25,000/- मुआवज़े का आदेश

 

Voice of Pratapgarh News ✍️ पंडित मुकेश कुमार 

चित्तौड़गढ़। परिवादी गणेशलाल पिता भैरूलाल खटीक निवासी रिद्धी-सिद्धी नगर सेतु मार्ग चित्तौड़गढ़ ने आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाईफ इंश्योरेन्स कंपनी के विरूद्ध एक परिवाद माननीय न्यायालय जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग चित्तौड़गढ़ में अधिवक्ता  भगवतसिंह गिलूण्डिया, राजकुमार वैष्णव, कुलदीप सुवालका के मार्फत इस आशय का पेश किया कि प्रार्थी ने विपक्षी से एक हेल्थ इंश्योरेन्स पॉलिसी ली थी जिसके तहत 1,25,000/- रुपये 5 वर्ष तक जमा कराये और प्रतिवर्ष 25,000/- रुपये प्रिमियम के जमा कराये। उक्त पॉलिसी में यह शर्त वर्णित की थी कि 5 वर्ष बाद प्रार्थी को आगे कोई प्रिमियम अदा नही करनी है और रिस्क कवर चालू रहेगा और इस दौरान किसी प्रकार बिमार होने पर बिमारी का सारा खर्च बीमा कंपनी वहन करेगी और पाँच वर्ष बाद मूल जमा राशि पुनः लौटा दी जायेगी, लेकिन बाद में बीमा कंपनी में आवेदन करने पर जमा राशि देने से इंकार कर दिया और जवाब में बताया कि पुनः जमा राशि लौटाने का पॉलिसी में कोई प्रावधान नही है, जबकि एजेन्ट गौरव चेचाणी ने न्यायालय में प्रिमियम लौटाने की शर्त का समर्थन किया।  मंच के अध्यक्ष प्रभुलाल आमेटा व सदस्या राजेश्वरी मीना व सदस्य अरविन्द कुमार भट्ट ने परिवादी के तर्को से सहमत होते हुए विपक्षी बीमा कंपनी के विरूद्ध आदेश सुनाया कि विपक्षी बीमा कंपनी प्रार्थी को क्लेम राशि 1,25,000/- रुपये की दिनांक 30/09/2016 से फन्ड वैल्यु के अनुसार 50 प्रतिशत राशि तारीख 27/01/2022 से तारीख अदायगी तक 6 प्रतिशत वार्षिक व्याज सहित 2 माह में अदा करे और हर्जे खर्चे के 7,500/- रुपये का अलग से आदेश सुनाया।

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