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प्रतापगढ़। बक्षी गली – तलाई मोहल्ला में श्री वटकेश्वर् महादेव मंदीर पर चल रही सप्त दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा का आज तीसरा दिवस पर शिव भक्त मण्डल के अजीत सिंह चौहान, प्रताप सिंह सोलंकी ने बताया की प. घनश्याम शास्त्री (नारायण खेड़ा वाले) के मुखार बिंद से ज्ञान गंगा प्रभावित हो रही है। जिसमे प. घनश्याम शास्त्री ने कथा के दौरान 12 ज्योतिलिंग की महिमा का विवरण बताया तथा शिव भक्ति /आराधना पूजा करने से शिव कैसे प्रसन्न होते है ऐसे अनेक प्रसंग सुनाए।
कथा में पधारे मंदसौर से राजेंद्र कुमार सोनी, कैलाश पंडित सा, विश्वनाथ शास्त्री को उपरना ओढ़ा कर स्वागत किया।
प. घनश्याम शास्त्री ने अपने प्रथम प्रसंग में – समुद्र मे देवताओं तथा राक्षसों द्वारा समुद्र मंथन बताया जिसमे राक्षस अमृत का कलश लेकर जाने लगे तो भारत वर्ष में चार स्थानों – हरिद्वार, उज्जैन, काशी और नाशिक में अमृत कलश से अमृत झलक गया जहाँ आज भी कुंभ का मेला लगता है, सभी देवताओं ने घबरा कर विष्णु की आराधना की तो विष्णु ने एक सुंदर कन्या – मोहिनी का रूप धारण कर सभी राक्षसों को मोहित कर उनसे अमृत कलश लेकर सभी देवताओं को अमृत पिलाया लेकिन बीच मे एक राक्षस ने भी आकर उसने भी अमृत पी लिया तब विष्णु को पता लगने पर अपने चक्र से उसका सिर अलग कर दिया जिससे उस राक्षस के दो भाग बनकर राहु और केतु बन गये जो आज भी गृह बने हुए है, का प्रसंग सुनाया।
दुसरा प्रसंग- शिलनिधि राजा की कन्या से नारद द्वारा विवाह हेतु मन में धारणा बनाना तथा विष्णु से नारद द्वारा उनका रूप मांगना विष्णु द्वारा अपने तीन रूपों में से वानर का रूप नारद को देना, सभा कक्ष में कन्या द्वारा वरमाला लेकर आगे बढ़ना तथा नारद का मुख बंदर का होने से सामने भी नही देख कर आगे बढ़ना महादेव के दो गणों द्वारा हसना तथा कन्या द्वारा विष्णु के गले मे माला डालना फिर नाराज नारद द्वारा विष्णु लोक मे जाकर विष्णु को श्राप देना कि तुम भी पत्नी वियोग मे रहोगे,श्राप के कारण राम अवतार में राम भी सीता से वियोग मे रहे तथा बंदर बनकर हनुमान के रूप में राम की सेवा करने का प्रसँग विस्तृत सुनाया।
तीसरा प्रसँग- दक्ष के 14000 पुत्र हुए जिन्हे तपस्या कर पुत्र पैदा करने हेतु भेज दिया, लेकिन नारद ने सभी को महात्मा बना दिया तत्पश्चात दक्ष के 60 कन्याएं हुई जिसमे से 27 कन्याओ की चन्द्रमा से शादी करा दी, कन्याओ द्वारा दक्ष को शिकायत करना,दक्ष द्वारा चंद्रमा को कुष्ठ रोग का श्राप दे दिया, परेशान होकर चंद्रमा ने भोलेनाथ की आराधना की ,भोलेनाथ की कृपा से कुष्ठ रोग ठीक होना, तथा कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष प्रारंभ हुए आदि अनेक प्रसँग सुनाए।
बक्षी गली मे चल रही सात दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा मे आज तीसरे दिन बक्षी गली ,तलाई मोहल्ला के अलावा अन्य मोहल्लो से भी भक्त जन कथा श्रवण हेतु अधिक संख्या मे आ रहे है तथा अन्य गांवो से भी जजमान आकर कथा श्रवण कर रहे है। कल चौथे दिन की कथा 11:00 बजे आरम्भ हो जायेगी।
