Voice of Pratapgarh News@ महेश कुमार गुप्ता।
संयुक्त अभिभावक संघ का आरोप
दौसा। राजस्थान में निजी स्कूल कर रहे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना, सरकार और शिक्षा विभाग दे रहे है संरक्षण– मनमाने तरीके से हर साल फीस बढ़ा रहे है स्कूल संचालक, जबकि फीस निर्धारण को लेकर 3 मई और 1 अक्तूबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट निर्णय दे चुका है, आजतक नही हो रही है आदेश की पालना – अभिषेक जैन बिट्टू
जयपुर। भारत में शिक्षा इंसान की जिंदगी का बहुत बड़ा अंग बन गया है, जिसके संरक्षण को लेकर ना केवल केंद्र सरकार बल्कि राजस्थान सरकार भी विभिन्न तरह के कानून लेकर आई, जिसमें एक कानून यह था की शिक्षा व्यवसाय का केंद्र नही बल्कि सेवा का केंद्र बनकर रहेगी, जो भी स्कूलों का संचालन करेगा उसे स्कूल से किसी भी प्रॉफिट कमाने का अधिकार नहीं रहेगा, स्कूलों का संचालन नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर किया जाएगा, किंतु विगत कुछ वर्षों से स्कूलों का संचालन केवल प्रॉफिट कमाने के आधार पर किया जा रहा है। हर साल निजी स्कूल संचालक मनमाने तरीके से ना केवल स्कूल में बढ़ोतरी कर खुलेआम अभिभावकों को लूट रहे है बल्कि मनमाने तरीके से स्कूलों का संचालन कर रहे है। गुरुवार को संयुक्त अभिभावक संघ ने प्रदेश के निजी स्कूल संचालकों सहित राजस्थान सरकार और शिक्षा विभाग पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा की ” राजस्थान में निजी स्कूल संचालक सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे है और राजस्थान सरकार व शिक्षा विभाग स्कूलों पर कार्यवाही करने की बजाय उनको संरक्षण दे रहे है। ” इसलिए निजी स्कूल संचालक खुलेआम ना केवल सुप्रीम कोर्ट का अपमान कर रहे है बल्कि देश के कानूनों का भी अपमान कर रहे है।
संघ राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की निजी स्कूल संचालक हर साल मनमाने तरीके से फीसों में बढ़ोतरी कर रहे है, जबकि फीस निर्धारण को लेकर राजस्थान में फीस एक्ट कानून 2016-17 में तत्कालीन भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार द्वारा लाया गया था, जिस पर स्कूलों द्वारा आपत्ति जताई गई थी और एक्ट के खिलाफ कोर्ट चले गए थे और एक्ट पर स्टे लगा दिया था। उस समय तक हम एक्टिव नही थे, वर्ष 2020 में कोरोना महामारी की मार पूरी दुनिया पर पढ़ी, उस समय स्कूल, ऑफिस, बाजार, सरकारी कार्यालय तक बंद करने पढ़ गए थे जनता बिना कमाई ना केवल प्रभावित हो रहे थे बल्कि दोहरी प्रताड़ना झेलने पर मजबूर हो रहे थे ऐसी स्थिति में स्कूल संचालक बच्चों की पढ़ाई का डर दिखाकर अभिभावकों से जबर्दस्ती और मनमानी फीस वसूल रहे थे इस दौरान संयुक्त अभिभावक संघ अस्तित्व में आया और मामले को लेकर पहले राजस्थान हाईकोर्ट का रुख किया गया जहां पर कोर्ट ने अभिभावकों के पक्ष में 18 दिसम्बर 2020 को फैसला दिया और फीस एक्ट को भी सख्ती के साथ लागू करने व एक्ट के अनुसार निर्धारित फीस वसूलने के आदेश दिए थे। जिसके बाद स्कूल संचालकों ने इस फैसले के विरोध में जनवरी/फरवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिस पर पहले 3 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया उस आदेश ने भी फीस एक्ट कानून को प्रत्येक निजी स्कूल में लागू करने का आदेश दिया गया था, जिस पर वापस स्कूलों द्वारा पूर्ण विचार याचिका लगाई गई थी जिस पर 1 अक्तूबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को यथावत रखने का आदेश दिया था। इसके बावजूद राजस्थान में आजतक फीस एक्ट कानून लागू नही हुआ ना ही राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करवाया और ना ही शिक्षा विभाग ने शिकायतों के बावजूद निजी स्कूलों पर कार्यवाही की बल्कि सरकार और विभाग के संरक्षण के चलते हर साल फीस बढ़ाई जा रही है। जो ना केवल देश के संविधान के खिलाफ है बल्कि यह कानून और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुलेआम अपमान है।
*स्कूल लेवल फीस कमेटी ही खर्चों के आधार पर फीस निर्धारित कर सकती है – अधिवक्ता अमित छंगाणी*
संयुक्त अभिभावक संघ विधि मामलात मंत्री अधिवक्ता अमित छंगाणी ने कहा की राजस्थान में निजी स्कूलों की फीस निर्धारण को लेकर फीस एक्ट कानून लाया गया था, जिसके तहत प्रत्येक निजी स्कूल संचालकों को हर साल एक्ट के अनुसार सत्र प्रारंभ होने के साथ ही पेरेंट्स और टीचर एसोसियेशन (पीटीए) का गठन करना होता है जिसकी शहरी क्षेत्र में निर्धारित 50 रु और ग्रामीण क्षेत्रों में 30 रु वार्षिक शुल्क का प्रावधान रखा गया है। इसके बाद 10 सदस्यों की स्कूल लेवल फीस कमेटी बनानी होती है जिसका गठन 15 अगस्त या इससे पूर्व करने का प्रावधान है, इस कमेटी में स्कूल संचालक/ट्रस्टी अध्यक्ष, प्रिंसिपल सचिव होते है साथ 3 टीचर और 5 अभिभावक सदस्य होते है 5 अभिभावकों का चयन लॉटरी सिस्टम से किया जाने का प्रावधान है। इस कमेटी का कार्य अगले सत्र की फीस निर्धारित करने को लेकर रहता है, जिसमें प्रत्येक स्कूल को पिछले सत्र के खर्चों को इस कमेटी के समक्ष रखा जाता है जिसके आधार पर स्कूल फीस निर्धारित की जा सकती है, किंतु अब तक स्कूलों द्वारा बिना कमेटी गठन किए बगैर ही मनमाने तरीके से हर साल फीस बढ़ाई जा रही है। जो सरासर गलत है और कानून का अपमान है।
अभिषेक जैन बिट्टू
प्रदेश प्रवक्ता & मीडिया प्रभारी
संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान (जयपुर)
